लंच ब्रेक के बाद सरकारी दफ्तरों में सन्नाटा, यूटी चंडीगढ़ में कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
- By Gaurav --
- Tuesday, 30 Dec, 2025
Government offices deserted after lunch break, raising questions about
चंडीगढ़ के सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों की कार्यप्रणाली को लेकर लगातार शिकायतें सामने आ रही हैं। खासतौर पर लंच ब्रेक के बाद कर्मचारियों के कार्यालय न लौटने से आम जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि सरकारी कार्यालयों में लंच टाइम दोपहर 1 बजे से 2 बजे तक निर्धारित है, इसके बावजूद कई दफ्तरों में दोपहर बाद कामकाज लगभग ठप नजर आता है।
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि लंच के बाद जरूरी कार्यों के लिए वे कर्मचारियों को ढूंढते रहते हैं, लेकिन अधिकतर कार्यालयों के कमरे खाली मिलते हैं। हालात ऐसे हैं कि आम नागरिकों को घंटों तक दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
आला अधिकारी भी समय पालन में लापरवाह
लोगों का आरोप है कि जब वरिष्ठ अधिकारी ही तय समय पर कार्यालय नहीं पहुंचते, तो अधीनस्थ कर्मचारियों में अनुशासन की कमी स्वाभाविक हो जाती है। इसी वजह से कई विभागों में लंच ब्रेक के बाद कर्मचारी कार्यालय से ‘गायब’ रहते हैं।

सूत्रों के अनुसार कुछ विभागों में कर्मचारी लंच ब्रेक के बहाने बाहर निकलते हैं और सीधे शाम 5 बजे केवल हाजिरी लगाने के लिए कार्यालय लौटते हैं। इससे सरकारी कामकाज की गंभीरता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
3 बजे बाद भी सैर करते दिखते कर्मचारी
सेक्टर-17 मार्केट और सेक्टर-9 की सड़कों पर दोपहर 3 बजे के बाद भी कई सरकारी कर्मचारियों को घूमते हुए देखा जा सकता है। कार्यालय परिसरों में लगे सीसीटीवी कैमरों में भी यह साफ दिखाई देता है कि कर्मचारी लंच ब्रेक के बाद समय पर वापस नहीं लौटते, लेकिन इसके बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
चंडीगढ़ कृषि विभाग भी सवालों के घेरे में
इस बीच चंडीगढ़ कृषि विभाग की कार्यप्रणाली भी चर्चा का विषय बनी हुई है। जिला कृषि अधिकारी कार्यालय से जुड़ा एक कथित ब्रॉशर सामने आया है, जिसमें लिखा है—
“ना आने का टाइम, ना जाने का टाइम, ना लंच, ना ब्रंच”।
इस पंक्ति को विभाग की प्रशासनिक व्यवस्था पर सीधा कटाक्ष माना जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक कृषि विभाग में आने-जाने का समय स्पष्ट नहीं है, जिसका सीधा असर किसानों और आम लोगों पर पड़ रहा है। योजनाओं, सब्सिडी और शिकायतों के निपटारे में देरी आम बात बन गई है।
आरटीआई एक्टिविस्ट आरके गर्ग की कड़ी प्रतिक्रिया
इस पूरे मामले पर आरटीआई एक्टिविस्ट आरके गर्ग ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि सरकारी दफ्तरों में ऑफिस टाइम की सख्ती से पालना होनी चाहिए।
आरके गर्ग ने कहा,
“सरकारी कर्मचारी जनता के टैक्स के पैसों से वेतन लेते हैं। ऐसे में समय पर कार्यालय आना और तय समय तक काम करना उनकी जिम्मेदारी है। यदि अधिकारी और कर्मचारी ऑफिस टाइम का पालन नहीं करेंगे, तो जनता का भरोसा प्रशासन से उठ जाएगा।”
उन्होंने यूटी प्रशासन से मांग की कि बायोमेट्रिक हाजिरी व्यवस्था को सख्ती से लागू किया जाए और लापरवाह अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
खाली ऑफिस, सुरक्षा भी राम भरोसे
सोमवार को लंच के बाद लगभग 3 बजे सेक्टर-17 में कृषि विभाग का कार्यालय पूरी तरह खाली पाया गया। कार्यालय में एक भी कर्मचारी मौजूद नहीं था, जबकि ऑफिस की सुरक्षा भी राम भरोसे नजर आई।
प्रशासन की ओर से कोई जवाब नहीं
फिलहाल इस पूरे मामले पर यूटी प्रशासन या संबंधित विभागों की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। आम जनता को उम्मीद है कि प्रशासन इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए सरकारी कार्यालयों में समयबद्ध, पारदर्शी और जवाबदेह व्यवस्था सुनिश्चित करेगा।